Utraula मे रोजी रोटी के लिए पलायन को मजबूर प्रवासी मजदूर बस छूटने की इंतजार में लगे हैं मजदूर

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उतरौला(बलरामपुर)वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान देश

के विभिन्न हिस्सों से घर लौटे प्रवासी मजदूरों को गाँव मे

रोजगार उपलब्ध न होने के चलते रोजी रोटी की तलाश मे

पुन:दिहाड़ी मजदूरों का शहरो की ओर पलायन करना शुरू

हो गया है।जबकि प्रदेश से घर लौटे मजदूरों को सरकार ने

गाँव मे ही रोजगार मुहैया कराने का भरोसा दिलाया था।

जानकारी के अनुसार तहसील क्षेत्र मे दिहाड़ी मजदूरों की

भारी जमात है।यह दिहाड़ी मजदूर देश के बड़े बड़े शहरो

मे रहकर मजदूरी करते है। जिससे उनके परिवार की

आजीविका चलती है।कोरोना संक्रमण के दौरान घर लौटे

मजदूरों के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न है गया है ।इसी

बीच केन्द्र की मोदी और सूबे की योगी सरकार ने भरोसा

दिलाया कि प्रदेश से घर लौटे मजदूरों को उनके गाँव मे ही

रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जायेगे।कोरोना काल में

भी जान जोखिम में डाल कर रोजी रोटी के तलाश में

गुजरात के सूरत जा रहे अख्तर अली, साबान, राम मनोहर,

सलमान व जुबेर अहमद ने बताया कि सरकार के

आश्वासन के बाद भी गाँव मे रोजगार के साधन उपलब्ध न

होने के चलते अब वह मौत हथेली पर रख कर प्रदेश मे

रोजगार की तलाश मे निकलने पर मजबूर है।इन मजदूरों ने

बताया कि आर्थिक समस्या से जूझ रहे परिवार की खातिर

वह प्रदेश जाने की तैयारी कर चुके है।उन्होंने यह भी कहा

कि कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश मे पहले जैसा रोजगार

का माहौल नही रहा फिर भी परिवार चलाने के लिए कुछ

तो कोशिश करनी पड़ेगी।जानकारी के अनुसार तहसील

क्षेत्र से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या मे दिहाड़ी मजदूर

रोजगार के सिलसिले में देश के बड़े बड़े शहरों के लिए गाँव

से कूच कर रहे है।मुम्बई जैसे शहरों के लिए ट्रेनों में कन्फर्म

टिकट न मिल पाने के कारण ऐसे लोग प्राइवेट बसों का भी

सहारा ले रहे है।बताया जाता है कि उतरौला से कुछ

ट्रावेल्स एजेंसिया देश के प्रमुख शहरों के लिए बसे चलाती

है।यह ट्रावेल एजेंसिया भी आपदा में भी अवसर तलाश रहे

हैं।उतरौला से मुंबई, पूना, व हैदराबाद का किराया 3500

वसूल कर रहे हैं।वहीं कोरोना संक्रमण के दौरान बनाये गये

गाइड लाइन की धज्जियां उड़ाते हुए 35 सवारी के सापेक्ष

70 से 75 सवारी ठूस कर ले जा रहे हैं। और सब कुछ

जानते हुए जिम्मेदार मौन साधे हुए हैं।

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