Balrampur news Utraula
उतरौला (बलरामपुर) नगर उतरौला स्थित श्री दुखहरणनाथ मन्दिर पर नवरात्र के प्रथम दिवस दिन
शनिवार की शाम को हवन व पूजा अर्चना के बाद भव्य रामलीला का शुभारम्भ विधायक उतरौला राम प्रताप वर्मा
ने राम व लक्ष्मण की आरती उतार कर किया। विधायक उतरौला ने कहा कि रामायण की कहानियों से हमें प्रेरणा
मिलती है। उन्होंने कहा कि हमें सनातन धर्म के आराध्य प्रभु श्रीराम के आदर्शों का अनुसरण करना चाहिए तथा
उनके विचारों को अपने जीवन में उतारकर उनके पद चिन्हों पर चलने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा
कि रामायण में श्रीराम के जन्म को बहुत ही सुंदर तरीके प्रस्तुत किया गया है। भगवान राम आदर्श व्यक्तित्व के
प्रतीक हैं। परिदृश्य अतीत का हो या वर्तमान का, जनमानस ने राम के आदर्शों को खूब समझा-परखा है राम
का पूरा जीवन आदर्शों, संघर्षों से भरा पड़ा है। राम सिर्फ एक आदर्श पुत्र ही नहीं, आदर्श पति और भाई भी थे।
भारतीय समाज में मर्यादा, आदर्श, विनय, विवेक, लोकतांत्रिक मूल्यों और संयम का नाम राम है। जो व्यक्ति
संयमित, मर्यादित और संस्कारित जीवन जीता है, निःस्वार्थ भाव से उसी में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्शों की
झलक परिलक्षित हो सकती है। राम के आदर्श लक्ष्मण रेखा की उस मर्यादा के समान है जो लांघी तो अनर्थ ही
अनर्थ और सीमा की मर्यादा में रहे तो खुशहाल और सुरक्षित जीवन। राम जाति वर्ग से परे हैं। नर हों या वानर,
मानव हों या दानव सभी से उनका करीबी रिश्ता है। अगड़े पिछड़े सब उनके करीब हैं। निषादराज हों या सुग्रीव,
शबरी हों या जटायु सभी को साथ ले चलने वाले वे देव हैं। भरत के लिए आदर्श भाई। हनुमान के लिए स्वामी। प्रजा
के लिए नीतिकुशल न्यायप्रिय राजा हैं। परिवार नाम की संस्था में उन्होंने नए संस्कार जोड़े। पति पत्नी के प्रेम की नई
परिभाषा दी। ऐसे वक्त जब खुद उनके पिता ने तीन विवाह किए थे। लेकिन राम ने अपनी दृष्टि सिर्फ एक महिला
तक सीमित रखी। उस निगाह से किसी दूसरी महिला को कभी देखा नहीं।वर्तमान संदर्भो में भी मर्यादा पुरुषोत्तम
भगवान श्रीराम के आदर्शों का जनमानस पर गहरा प्रभाव है।
त्रेतायुग में भगवान श्रीराम से श्रेष्ठ कोई देवता नहीं, उनसे उत्तम कोई व्रत नहीं, कोई श्रेष्ठ योग नहीं, कोई उत्कृष्ट
अनुष्ठान नहीं। उनके महान चरित्र की उच्च वृत्तियाँ जनमानस को शांति और आनंद उपलब्ध कराती हैं। संपूर्ण
भारतीय समाज के जरिए एक समान आदर्श के रूप में भगवान श्रीराम को उत्तर से लेकर दक्षिण तक संपूर्ण
जनमानस ने स्वीकार किया है। उनका तेजस्वी एवं पराक्रमी स्वरूप भारत की एकता का प्रत्यक्ष चित्र उपस्थित
करता है।असीम ताकत अहंकार को जन्म देती है। लेकिन अपार शक्ति के बावजूद राम संयमित हैं। वे सामाजिक
हैं, लोकतांत्रिक हैं। वे मानवीय करुणा जानते हैं। वे मानते हैं- परहित सरिस धर्म नहीं भाई। स्वतंत्रता सेनानी, प्रखर
समाजवादी और सम्मानित राजनीतिज्ञ डॉ. राममनोहर लोहिया कहते हैं- जब भी महात्मा गांधी ने किसी का नाम
लिया तो राम का ही क्यों? कृष्ण और शिव क्यों नहीं। दरअसल राम देश की एकता के प्रतीक हैं। महात्मा गांधी
ने राम के जरिए हिन्दुस्तान के सामने एक मर्यादित तस्वीर रखी। गांधी उस राम राज्य के हिमायती थे। जहां
लोकहित सर्वोपरि हो। इसीलिए लोहिया भारत मां से मांगते हैं- हे
भारत माता हमें शिव का मस्तिष्क दो, कृष्ण का हृदय दो, राम का कर्म और वचन दो। राम का जीवन आम आदमी
का जीवन है। आम आदमी की मुश्किल उनकी मुश्किल है। वे हर उस समस्या का शिकार हुए जिन समस्याओं से
आज का इंसान जूझ रहा है। बाकि देवता हर क्षण चमत्कार करते हैं। लेकिन जब राम की पत्नी का अपहरण हुआ
तो उसे वापस पाने के लिए उन्होंने कोई चमत्कार नहीं किया अपितु रणनीति बनाई। लंका जाने के लिए उनकी
सेना ने कोई चमत्कार नहीं किया बल्कि एक-एक पत्थर जोड़कर पुल बनाया। यह उनकी कुशल प्रबन्धक क्षमता
को दिखाती है। जब राम अयोध्या से चले तो साथ में सीता और लक्ष्मण थे। जब लौटे तो पूरी सेना के साथ। एक
साम्राज्य को नष्ट कर और एक साम्राज्य का निर्माण करके। राम अगम हैं संसार के कण-कण में विराजते हैं। सगुण
भी हैं निर्गुण भी। तभी कबीर कहते हैं “निर्गुण राम जपहुं रे भाई।” आदिकवि ने उनके संबंध में लिखा है कि वे
गाम्भीर्य में उदधि (सागर) के समान और धैर्य में हिमालय के समान हैं। राम के चरित्र में पग-पग पर मर्यादा, त्याग,
प्रेम और लोकव्यवहार के दर्शन होते हैं। राम ने साक्षात परमात्मा होकर भी मानव जाति को मानवता का संदेश
दिया। उनका पवित्र चरित्र लोकतंत्र का प्रहरी, उत्प्रेरक और निर्माता भी है। इसीलिए तो भगवान राम के आदर्शों का
जनमानस पर इतना गहरा प्रभाव है और युगों-युगों तक रहेगा। ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में कलाकारों द्वारा
रामलीला का मंचन किया जाता है। शनिवार को देर रात मंच का विधिपूर्वक पूजा पाठ पण्डित फूलचन्द्र शास्त्री
द्वारा कराया गया। पूजनुपरांत मंच का उद्घाटन विधायक राम प्रताप वर्मा ने किया। मंच उद्घाटन के उपरान्त
गणेश वंदना हुआ। उद्घाटन के बाद राम लक्ष्मण की एक मनमोहक झांकी का अवलोकन हुआ। जिसके बाद राम
लीला प्रारम्भ हुआ। प्रथम दिवस कलाकारों द्वारा नारद मोह की लीला का मनोहार मंचन किया गया। इस मौके पर
पूर्व अध्यक्ष अनूप गुप्ता, सुधीर श्रीवास्तव, महेंद्र प्रताप सिंह, रामदयाल यादव, सीबी माथुर, रवि गुप्ता, अमित कुमार
गुप्ता, देवानन्द गुप्ता, फरिंद्र गुप्ता, संजय गुप्ता, हर्षित जायसवाल, गुड्डु कसौधन, अनिल गुप्ता, पंकज
गुप्ता व ओमप्रकाश गुप्ता ने हवन कर रामलीला का शुभारंभ किया गया।