102 करोड़ का बलरामपुर-उतरौला रोड का निर्माण हुआ था।
बलरामपुर से उतरौला करीब 28 किमी लंबी सड़क है ।
उतरौला से बलरामपुर की सड़क की चौड़ाई 10मीटर है।
हरे पेड़ों पर चल रहा अन्धाधुन्ध आरा जिम्मेदार सुस्त, लकड़ी माफिया मस्त
रेहरा बाजार (बलरामपुर) पेंड लगावो पर्यावरण बचाओ यह लाइनें केवल वन विभाग द्वारा लगये गए बोर्डों पर
जनता को उपदेश देने के लिए ही छपे है। जनता भले ही हरियाली को बचाने और इनके उपदेशों को ध्यान में
रखकर फल की चाहत में हरे पेड़ों का वृक्षारोपण करें लेकिन खुद के लिखे उपदेशों पर वन विभाग कितना खरा
उतर कर हरियाली को बचाने का प्रयास करता है उसकी बानगी क्षेत्र में हो रहे अंधाधुंध हरियाली की कटानो से
लगाया जा सकता है। जिस प्रकार से अंधाधुंध पेड़ों पर आए दिन आरा चलाया जा रहा है। उससे तो यही अंदाजा
लगाया सकता है की जल्द ही यदि इस पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो लोग इसे भी रेगिस्तान की उपमा देने से
हिचकेंगे नहीं कहा जाता है कि रेगिस्तान में पेड़ नहीं होता बल्कि कहा यह जाना चाहिए कि जहां पेड़ पौधे नहीं होते
वहां रेगिस्तान होता है। वन विभाग द्वारा 01 सप्ताह में लगाए गए पौधे पेड़ का रूप नहीं ले पाते कि उससे भी बड़ी
तादाद में वन विभाग के जिम्मेदारों की लापरवाही एवं वन माफियाओं की जुगलबंदी मिटा डालती है। सूत्रों की माने
तो एक-एक दिन में सैकड़ों हरे पेड़ वन माफियाओं द्वारा काट डाले जाते हैं। समारोहों में बड़ी बड़ी डींगे पेड़ों के
बचाव में पर्यावरण को बचाने के लिए बोली जाती हैं एवं हरियाली लाने और बचाने के लिए बड़े-बड़े वादे किए जाते
हैं घोषणाएं होती हैं लेकिन वन विभाग के अफसरों का इमान चंद पैसों के लिए कितने खराब होते हैं। यह लोग
उनके द्वारा हांकी जा रही डींगों के सामने सोचने में दिमाग नही लगाते है। लेकिन जब बाद में हरियाली पर आरी
चलते हैं तो अफसरों के वादे और हरियाली मिटाने के बुलंद इरादे साफ तौर पर नजर आते हैं। पेड़ काटने वाले
लोग वन दरोगा के रहमों करम पर हरियाली मिटाने से बाज नहीं आते हैं। कार्यवाही के नाम पर पहले से ही
योजनाबद्ध तरीके से तैयारी की जाती है जो सिर्फ केस काटने तक ही सीमित रह जाता है। अगर मामला ऊपर तक
पहुंचता है तो मुकदमा दर्ज किया जाता है। अगर हरे पेड़ों की कटान को लेकर वन विभाग और पुलिस विभाग हो
रहे अवैध कटान को लेकर काफी गंभीर है तो अवैध कटान रोकने का नाम क्यों नहीं ले रहा है। अगर हरे पेड़ों की
कटान के मामले को लेकर पुलिस प्रशासन व वन विभाग काफी गंभीर है तो कटान पर लगाम क्यों नहीं लगता आए
दिन पेड़ों की कटान हो रही है। छुट की नहीं प्रतिबंधित पेड़ों पर आरे चलते हैं रेहरा बाजार वन रेंज व थाना क्षेत्र के
लगभग सभी गांव में जमकर पेड़ काटे जा रहे हैं हफ्ते महीने छह माह में भी कड़ी कार्रवाई माफियाओं पर होती
रहे तो कटान पर काफी हद तक रोक लग सकती है लेकिन ऐसा संभव नहीं एक तरफ हरियाली बचाने की अपील
की जाती हैं दूसरी ओर माफियाओं को हरे पेड़ की कटान के बाद सरकारी झंझट से बचने की जुगत भी बताते हैं
सूत्रों के अनुसार इतना ही नहीं कार्यवाही भी उन्हीं माफियाओं पर होती है जो कटान करने से पहले विभागीय
अधिकारियों से सलाह तक नहीं लेते। लगातार हरे पेड़ काटने की वारदातें हो रही हैं दिन के उजाले से लेकर रात
के अंधेरे में पेड़ काटे जा रहे हैं आए दिन कट रहे पेड़ों पर विभाग केवल दिखावे को गंभीर है कटान पर कटान हो
रहे हैं इसके बाद ही वन अधिकारी मौन साधे हुए है एवं तमाशबीन बने हुए हैं। क्षेत्र के रेहरा बाजार, किरतापुर,
बूधीपुर, किशुनपुर ग्रिन्ट, त्रिमुहानी मोड़, सराय खास, हुसैनाबाद, मोहम्मदपुर, शेरगंज, पकड़ी भुवारी सहित तमाम
ऐसे स्थान है जहां वन विभाग से सांठगांठ कर प्रतिबंधित हरे पेड़ों पर आरा चलाकर हरियाली की बलि चढ़ाई जा
चुकी है। सूत्र बताते हैं कि लकड़ी माफिया बगैर वन विभाग के कर्मियों से मिले पेड़ कौन कहे एक डाल भी नहीं
काटते। इस बात की तस्दीक इससे भी हो जाती है कि ग्रामीणों की सूचना के बावजूद भी वन कर्मी मौके पर नहीं
पहुंचते हैं मामला खुलने पर लकड़ी उठा ले गए माफियाओं पर मामूली जुर्माना लगाकर खानापूर्ति कर दी जाती है।
सूत्रों के अनुसार लकड़ी से जुड़े कारोबारी बताते हैं कि पेड़ की परमिट लेने के बजाय चोरी से पेड़ काटने पर
मामला खुलने पर जुर्माना भर देना ठीक रहता है उन लोगों के मुताबिक परमिट लेने के लिए वन कर्मियों से पेड़ के
सूखा होने की रिपोर्ट लगवाने के लिए खर्चा देने के साथ ही तमाम फॉर्मेलिटी करनी पड़ती है जिससे काफी समय
भी लग जाता है इससे बेहतर रहता है कि कर्मियों से मिलकर अवैध ढंग से पेड़ कटवा कर लकड़ी उठवा लेते हैं
तथा वनकर्मी उन्हीं लकड़ी उठा ले जाने तक की छूट देते हैं। ग्रामीणों की सूचना को यह नजरअंदाज कर देते हैं
तथा शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर सम्बन्धित ठेकेदार को दे दिया जाता है जिससे ठेकेदार शिकायतकर्ता के
ऊपर दबाव बनाते है और देख लेने तक का धमकी देते है। अगरमामला बढ़ जाता है तो उस पर मामूली जुर्माना
अदा करवा कर इन्हें हरियाली मिटाने की छूट दे दी जाती है। इस संबंध
में जब वन क्षेत्राधिकारी इकबाल अहमद नया बाजार से बात की गई तो उन्होंने बताया की इसके बारे कोई
जानकारी नही है। वहीं जब इस सम्बन्ध में थाना प्रभारी निरीक्षक रेहरा बाजार के सी यू जी नंबर पर सम्पर्क किया
गया तो उनका नम्बर पहुंच से बाहर पाया गया।