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तुलसीपुर/ बलरामपुर– जनपद के प्रसिद्ध स्थान मकुनहवा कुटी पर दो दिवसीय संत सम्मेलन एवं चौका, आरती पूजन पाठ का समापन शुक्रवार को हो गया है। दूर दराज व पड़ोसी देश नेपाल के साधु संत, महंतों ने कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
दो दिवसीय संत समागम में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। पूरे पण्डाल में धार्मिक जयकारे की गूंज बनी रही। गुरूवार व शुक्रवार को कबीर पंथ के अनुसार चौका, आरती, भजन, कीर्तन का कार्यक्रम चलता रहा। अभी हाल ही में ब्रह्मलीन हुये मकुनहवा कुटी के महंत प्रेमनारायण दास जी के समाधि स्थल पर शिष्यों ने लाइन लगाकर पुष्पांजलि अर्पित की। महन्त सुरेन्द्र नाथ दास जी महराज ने कहा कि गुरु को ईश्वर से भी ऊँचा पद दिया गया ‘हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर॥’ महन्त यज्ञनारायण दास जी महाराज ने विधि पूर्वक बीजक पाठ आरती, ध्वजारोहण, गुरु महिमा का पाठ लोगों को सुनाया। महंत ओमप्रकाश दास जी महराज ने कहा कि कबीर साहब ने अपने वाणी में भी गुरु को ईश्वर से श्रेष्ठ बताया है। गुरु के माध्यम से ही हमे ईश्वर के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है। महन्त निर्मल गिरि दास जी महराज ने कहा कि हर व्यक्ति को अच्छे कर्म करने चाहिए क्योंकि इंसान से तो मनुष्य चोरी कर सकता है लेकिन भगवान से नही। विभिन्न प्रान्त से आये विद्वान संत महंतों ने आश्रम पर सोलह दिनों तक सत्यनाम का पाठ विधि पूर्वक किये। समापन अवसर पर विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया। मकुनहवा कुटी मंदिर के उत्तराधिकारी सत्यप्रकाश पाठक ने आये हुये सभी साधु संतों को अंगवस्त्र भेंटकर आशिर्वाद प्राप्त किया। संत सम्मेलन में नेपाल राष्ट्र से आये महा मण्लेश्वर जी महराज, दिगम्बर दास जी महराज, महंत रामजीवन दास, रामानुजाचार्य जी